रविवार 2 फ़रवरी 2025 - 14:26
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम टूटे और बीमार दिलों की तस्कीन

हौज़ा / हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की विलादत बासअदत का दिन हर मुहब्बत ए अहले बैत के लिए खुशी सआदत और रहमत का पैगाम लाता है आपकी पाक़ ज़ात सिर्फ़ इस्लामी तारीख़ में क़र्बानी सब्र और इस्तिक़ामत की आलातरीन मिसाल नहीं है बल्कि कुरआन करीम की रौशनी में भी आप वह हस्ती हैं जो टूटे हुए दिलों के लिए शिफ़ा और बीमार रूहों के लिए तस्कीन का ज़रिया हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार, हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की विलादत बासअदत का दिन हर मुहब्बत-ए-अहले बैत के लिए खुशी सआदत और रहमत का पैगाम लाता है। आपकी पाक ज़ात सिर्फ इस्लामी इतिहास में क़र्बानी, सब्र और इस्तिक़ामत की आला तरीन मिसाल नहीं है बल्कि कुरआन करीम की रोशनी में भी आप वह हस्ती हैं जो टूटे दिलों के लिए शिफ़ा और बीमार रूहों के लिए तस्कीन का ज़रिया हैं।

कुरआन में अल्लाह तआला ने अहले बैत अलैहिस्सलाम की अज़मत को स्पष्ट किया है। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की ज़ात को समझने के लिए हमें कुरआन में वर्णित उन विशेषताओं की ओर देखना होगा जो अल्लाह के पसंदीदा बंदों के लिए बताई गई हैं।

अल्लाह तआला ने अहले बैत अलैहिस्सलाम की तहारत को सुरह अहज़ाब में इस प्रकार बयान किया:

إِنَّمَا يُرِيدُ اللَّهُ لِيُذْهِبَ عَنكُمُ الرِّجْسَ أَهْلَ الْبَيْتِ وَيُطَهِّرَكُمْ تَطْهِيرًا (अल-अहज़ाब: 33)

बेशक अल्लाह यही चाहता है कि वह तुमसे हर प्रकार की नापाकी दूर कर दे, ओ अहले बैत, और तुम्हें पूरी तरह से पाक कर दे।

यह आयत स्पष्ट करती है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम उन हस्तियों में से हैं जिन्हें अल्लाह ने हर प्रकार की आत्मिक गंदगी से पाक रखा और यही पाकीजगी लोगों के दिलों के लिए शिफ़ा का ज़रिया है।

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सब्र और इस्तिक़ामत की निशानी हैं कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

وَبَشِّرِ ٱلصَّـٰبِرِينَ ٱلَّذِينَ إِذَآ أَصَـٰبَتْهُم مُّصِيبَةٌ قَالُوٓاْ إِنَّا لِلَّهِ وَإِنَّآ إِلَيْهِ رَٰجِعُونَ (अल-बकरा: 155-156)

और सब्र करने वालों को खुशखबरी दे दो, वह लोग कि जब उन पर कोई मुसीबत आती है तो कहते हैं: हम अल्लाह के हैं और उसी की ओर लौट कर जाने वाले हैं।

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का पूरा जीवन सब्र और इस्तिक़ामत की मिसाल था और कर्बला के मैदान में उनका हर शब्द और कर्म इस आयत की वास्तविक व्याख्या था आपने हर परीक्षा में अल्लाह की रज़ा पर सब्र किया और यही सब्र टूटे हुए दिलों के लिए मरहम बन जाता है।

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम हक के रास्ते के रोशन दीए हैं। कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

وَجَعَلْنَاهُمْ أَئِمَّةًۭ يَهْدُونَ بِأَمْرِنَا (अल-अम्बिया: 73)

और हम ने उन्हें इमाम बनाया जो हमारे आदेश से हिदायत देते थे।

यह आयत इस हकीकत को स्पष्ट करती है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम हिदायत के वो दीए हैं जिनकी रौशनी हर दौर में हक के तलाशियों का रास्ता रोशन करती है आपने हक और बातिल के बीच इतना स्पष्ट फर्क दिखाया कि क़ियामत तक इंसानियत के लिए हिदायत का एक रोशन मीनार बन गए।

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम दिलों की शिफ़ा हैं। कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

يَا أَيُّهَا النَّاسُ قَدْ جَاءَتْكُم مَّوْعِظَةٌ مِّن رَّبِّكُمْ وَشِفَاءٌ لِّمَا فِي الصُّدُورِ (यूनुस: 57)

ऐ लोगो! तुम्हारे पास तुम्हारे रब की उपदेश और दिलों के लिए शिफ़ा आ चुकी है।

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की सीरत और क़र्बानी इस आयत की वास्तविक व्याख्या है। आपका ज़िक्र ग़मजदा दिलों के लिए तस्कीन और टूटे हुए दिलों के लिए इलाज है जो कोई सच्चे दिल से आपके दर पर आता है, उसे रूहानी शिफ़ा मिलती है।

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की विलादत अल्लाह की रहमत का संदेश है आपकी विलादत सिर्फ़ एक ऐतिहासिक घटना नहीं है बल्कि यह अल्लाह की ओर से एक नेमत है जो दुनिया को हिदायत और सब्र का संदेश देती है। आपकी पाक ज़ात उन सभी लोगों के लिए उम्मीद का दीया है जो जिंदगी के दुःख और मुश्किलों से गुजर रहे हैं।

जब भी कोई मुश्किलों का बोझ महसूस करता है, जब भी कोई खुद को टूटे हुए दिल के रूप में पाता है, जब भी कोई गुनाहों की बीमारी से ग्रस्त हो, तो हुसैन अलैहिस्सलाम की ओर रुख करने से उसके जख़्मों पर मरहम रखा जा सकता है।

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शख्सियत वह इलाज है जो टूटे और बीमार दिलों को शांति देती है। उनकी सीरत, उनकी क़र्बानी, और उनका पैगाम कुरआन की रौशनी में पूरा हिदायत और रहमत है। आपकी विलादत का दिन अल्लाह की ओर से इस महान नेमत के उतारने का दिन है जो दुनिया को रोशनी, सब्र और हक परस्ती का रास्ता दिखाता है।

तो आइए इस मुबारक दिन को इस इरादे के साथ मनाएं कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के नक़्श-ए-क़दम पर चलेंगे, सब्र, हक परस्ती और अल्लाह की रज़ा को अपनी जिंदगी का मकसद बनाएंगे, ताकि हम भी दिलों के जख़्मों पर हुसैनीयत का मरहम रख सकें।

लेखक: मौलाना सैयद अम्मार हैदर ज़ैदी,क़ुम

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